Sunday, May 1, 2022

कवीश्वर चन्दा झाक व्यक्ति‍त्व ओ कृतित्व




कवीश्वर चन्दा झा आधुनिक कालक सिंहद्वार पर अपन बहुमुखी प्रतिभा ओ बहुआयामी व्यक्ति‍त्वसँ सम्पन्न युगप्रर्वतक रचनाकार भेलाह, जे मैथि‍ली मे रामायणक रचना कs साहित्य जगतमे क्रांति आनि देलनि ।

डा0 अमरनाथ झाक कथन छनि ‘’विद्यापतिक समयसँ जे काव्य परम्परा मैथि‍लीमे चल आबि रहल छल से उन्नैसम शताब्दी‍ धरि अबैत-अबैत शक्तिवहीन भs गेल छल । तात्कलिक समाज ओ सामाजिक परिवेशक वास्तविक प्रतिनिधित्व ओ आब नहि कs रहल छल, तथा ओहिमे आब कृत्रि‍मता आबि गेल छल । चन्दा झा पहिल कवि भेलाह जे मैथि‍ली साहित्यक एहि गत्यावरोधकेँ चीन्हल तथा ओहिमे नवीन गति प्रदान कs ओकरा देश ओ समाजक अनुकूल बनाओल एवं नवीन खाढ़ीक कवि लोकनिक हेतु एकटा नव पथ प्रशस्त कयल ।

जन्म-मृत्यु ओ जन्मस्थान

चन्दा झाक जन्म शाके 1753 माघ शुक्ल सप्तमी बृहस्पतिकें, तदनुसार 20 जनवरी 1839 ई0 मे काश्यपगोत्रीय मड़रय रजौरा मूलक मैथि‍ल ब्राहम्ण वंशमे भेल । हिनक पैतृक निवासस्थान छल पिण्डारूछ । हिनक पिता महामहोपाध्याय पण्डि‍त भोला झा अपन समयक एक नैष्ठि‍क एवं सुप्रतिष्ठि‍त विद्वान छल । हिनक पैत्रि‍क वंश जेंका हिनक मातृवंश सेहो बड़ गौरवपूर्ण रहनि । हिनक मतामह बड़गामनिवासी पण्डित गिरिवरनारायण झा सरिसबे छाजन मूलक प्रसिद्ध विद्वान रहथि‍ । ओहि समय बड़गाम मिथि‍लाक एकटा विख्यात विद्याकेन्द्र रहय । कवीश्वरक जन्म अपन मातृकेमे भेल छल ।

डा0 अमरनाथ झा हिनक मृत्युक प्रसगेँ लिखने छथि जे – ‘’चन्दा झाक मृत्यु सतहत्‍तरि वर्षक अवस्था मे मार्ग शुक्ल नवमी शुक्र तदनुसार 14 दिसम्बर 1907 ई केँ रात्रि‍ शेषमे भेलनि ।

व्यक्तित्व –

कवीश्वर चन्दा झाक व्यक्तित्व बहुआयामी छल । ई कवीश्वर नामे बेस विख्यात भेलाह । ई मैथि‍लीक महाकवितँ रहबे करथि‍, संगहि संस्कृ‍त आ संगीत शास्‍त्रक प्रकाण्ड विद्वान सेहो रहथि‍ । रामायणमे तथा आनो ठाम हिनक कतेको संस्कृत श्लोक उपलब्ध अछि । ओहि श्लोक सभक आधारपर सहजेँ ई अनुमान लगाओल जा सकैछ जे जँ मातृभाषाक प्रति हिनक प्रगाढ़ अनुरक्ति नहि रहैततँ संस्कृ्त मे उत्कृष्ट कोटिक ग्रंथ लिखि‍ अमरता प्राप्त कs सकैत छलाह।

ई बड़ पैघ अनुसन्धानकर्ता छलाह । महाकवि विद्यापतिक विषयमे तथा अपन पूर्ववर्ती कतेको मैथि‍ल कवि ओ पंडितक विषयमे जाहि-जाहि तथ्यक अन्वेषण कयलनि से हिनक विशि‍ष्ट अनुसन्धान-क्षमताक ज्वलन्त प्रमाण थि‍क । यैह सर्वप्रथम व्यक्ति छलाह जे विद्यापतिकेँ मैथि‍ल प्रमाणि‍त करबाक दिशा मे आकृष्ट भेलाह । ई संगीत शास्त्रक गंभीर ज्ञाता छलाह । तेँ अपन रामायणमे मिथि‍लाक संगीतक अनुसार अनेकानेक रागक उल्लेख कयने छथि‍ । चन्दा झा सफल अनुवादक सेहो छलाह । विद्यापतिक संस्कृत ग्रंथ ‘पुरूष-परीक्षा’क गद्य-पद्यमय अनुवाद हिनक विलक्षण अनुवाद सामर्थ्यक परिचायक थि‍क । संपादन कार्यमे सेहो निष्णात छलाह । ततबे उच्च कोटिक विद्वान छलाह । हिनक गीत पर श्रोता झुमि उठैत छल । हिनक भक्ति‍ विषयक पद सेहो बड़ सुन्दर होइत छल -

‍हम पशुमति तोँह पशुपति देब के नहि त्रि‍जगत तुअ पद सेव

कवीश्वर सेहो जखन भगवती श्यामाक स्तुति करय लगैत छथि‍ तँ कहैत छथि‍ जे –

रे मन रटह श्यामा श्यामा
यावत जीवन कुशल रहब बसब जाहि ठामा ।
विधि‍ रमेश्वर ईश्वर वास किड़कर कोटिमे नामा ।।

कृतित्व

कवीश्वर चन्दा झा आधुनिक मैथि‍ली साहित्यक युग प्रवर्तक तँ छलाहे, तकर अतिरिक्त संस्कृत ओ हिन्दी‍ भाषामे सेहो बहुत रचना कयने छथि‍ । हिन्दी साहित्यिक इतिहास मे जे गौरव भारतेन्दु हरिश्चन्द्र केँ प्रदान कयल जाइत छनि तकर वास्तविक अधि‍कारी चन्द्रे नाथे झा थि‍काह ।

कवीश्वरक मुख्य साहित्यि‍क रचना निम्नलिखि‍त अछि –

1) वाताह्वान – एकर प्रकाशन 1883 ई0 मे भेल रहय । वाताह्न ओहि प्रकारक पद्य थिक जाहि प्रसंग लोक मे ई विश्वास छैक जे एकरा स्फुट रूपेँ पढ़लासँ हाबा जोरसँ बहय लगैत छैक आ गर्मी शान्त भs जाइत छैक ।

2) मिथि‍लाभाषा रामायण – कवीश्वरक ई सर्वाधि‍क महत्वपूर्ण ग्रंथ थि‍काह । यैह ग्रन्थ हिनका कालातीत बना देलक तथा हिनक कीर्तिध्वज सदा फहरबैत रहला । ई पुराण नहि पौराणि‍क महाकाव्य थि‍क ।

3) गीतिसुधा – एहि मे विविध भावपूर्ण छतीस गोट गीत संकलित अछि ।

4) महेशवाणीसंग्रह – डां0 गंगानाथ झा द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशि‍त

5) अहल्याचरितनाटक – खण्ड रूप मे, मिथि‍लामिहिर 18 फरवरी 1912 ई0 में प्रकाशि‍त ।

6) चन्द्रपद्यावली – एहिमे संस्कृत, मैथि‍ली एवं हिन्दी भाषाक विविध भावपूर्ण 650 गोट पद्यक संग्रह अछि । ई हिनक स्फूट पद्यक सर्वप्रमुख प्रकाशि‍त ग्रन्थ थि‍क ।

7) लक्ष्मीश्वर विलास – ई महाराज लक्ष्मीश्वर सिंहक आज्ञासँ रचित संस्कृ्त ओ मैथि‍ली भाषाबद्ध विविध भावपूर्ण 36 गोट पद्यक संग्रह थि‍क ।

8) विद्यापति रचित पुरूषपरीक्षाक मैथि‍ली अनुवाद –

9) गीतसप्तशती – एकर प्रकाशन 1902 ई0 मे महाराजाधि‍राज महेश्वर सिंहक धर्मपत्नी महेश्वरलता देवीक द्रव्य सहाय्यसँ भेल रहय ।

एकर अतिरिक्त‍ हिनक रचित निम्न लिखि‍त ग्रन्थ सभ सेहो उल्लेख भेटैत अछि । किन्तु ई सभ अप्राप्त ओ अप्रकाशि‍त अछि ।

1) मूलग्रामविचार – एहिमे प्राय: पंजीकालीन मूल ग्रामसभक पता लगाओल गेल छल । चन्द्रपपद्यावलीक भूमिका मे राजपंडित बलदेव मिश्र एकर उल्लेख कयने छथि‍ ।

2) छन्दो्ग्रन्थक – राजपंडित बलदेवमिश्र चनद्रपद्यावलीक भूमिका मे तथा पंडित शशि‍नाथ झा मैथि‍ली रामायण (गुटका संस्करण) क भूमिका मे एहि ग्रंथक उल्ले‍ख कयने छथि‍ ।

3) रसकौमुदी – ई ब्रजभाषा मे लिखि‍त नायिकाभेदसम्बन्धी काव्यग्रन्थं थि‍क । डा0 ललितेश्वर झा एकर उल्लेख कयने छथि‍ ।

उपर्युक्त विवेचना सँ ई स्पष्ट भs जाइत अछि जे विद्यापतिक पश्चा‍त कवीश्वर चन्दा झा प्रथम कवि भेलाह जे समसामयिक समस्या‍केँ नीक-जकाँ चीन्हि ओकर प्रतीकारक हेतु जनसाधारणमे अपन रचनाद्वारा मिथि‍ला, मैथि‍ली ओ मैथि‍लीक प्रति अनुराग उत्पन्न करबाक प्रयास कयल, कविताक रूढ़िग्रस्त परंपराकेँ संशोधि‍त कs साहित्यिक गत्यावरोधकेँ हटाओल, काव्यकेँ तात्कालिक समस्याक प्रति चिन्तनशील बनाओल तथा गद्य लिखबाक मार्ग प्रशस्त कयल । कवि ओ कलाकार कs अपन युगक प्रति जे दायित्व रहैत छैक तकर निर्वाह कवीश्वर कयलनि ।

निष्कर्षत: हिनक व्यक्तित्व बहुआयामी छल व्यक्ति‍त्व ओ कृतित्व विवेचनाक पश्चात कहि सकैत छी जे ई अपन बहुमुखी प्रतिभाक विलक्षण लोक छलाह जे अपन अमूल्य कृतिक कारणे आधुनिक कालमे मैथि‍ली साहित्यमे वैह स्थान प्राप्त कयने छथि‍ जाहि स्थानके मैथि‍ली लेल आदिकाल मे महाकवि विद्यापति प्राप्त कयने छथि‍ ।

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